11. अच्छे विचार

 37. पक्षियों को उड़ते हुए देखा है आपने?

इनका उड़ना, वायु में इतना संतुलन मुग्ध कर देता है, हैं ना। इन्हें उड़ते देख आपके मन में भी इच्छा होती होगी कि इन्ही की भांति आप भी स्वतंत्रता से उड़ पाए। ईर्ष्या होती हैं ना, जब आप इन्हे खुले आकाश में विचरण करते देखते हैं। पर कभी सोचा है इस उड़ान को, इस स्वतंत्रता को पाने के लिए इन्होंने कितना परिश्रम, कितना अभ्यास किया होगा? आकाश में उड़ने से पूर्व धरती पर कितना गहन परिश्रम किया होगा? इनके माता पिता ने जब पहली बार इन्हे पंख फड़फड़ाने को उकसाया होगा तो कितनी बार गिरे होंगे? पहली बार वायु में उड़ते समय कितना भय लगा होगा? अपनी पहली उड़ान के पश्चात धरती पर उतरते समय गिरकर कितनी चोट खाई होगी? इस उड़ान का, इस स्वतंत्रता का मोल है ये।

यदि आप ये दे सकते हैं तो अवश्य आप भी इस स्वतंत्रता को पा सकते हैं। इन पक्षियों की भांति ही अपने ही चारों ओर जब भी किसी सफल मनुष्य को देखें तो उससे ईर्ष्या न करें। उसके परिश्रम और पीड़ा को समझने का प्रयास करे। जो उसने यहां तक पहुंचने में पायी है।

प्रेरणा लें, प्रयास करें और स्वयं भी सफल हो जाये।

सतविचार -: हमारी दृष्टि ही हमारे मानसिक जगत का सृजन करती है।

जय गुरुदेव नाम प्रभुका || जयगुरुदेव ||  हमारी अपेक्षाएं, तुलनाएं, वासनाये और पूर्वाग्रह से भरी तृष्णाएं ही हमारी अशांति की जड़ हैं दृष...