12. अच्छे विचार

 38. कभी किसी के यहां अतिथि बनकर गए हो?

क्या अपेक्षाएं होती हैं आपकी कि आपका स्वागत हो, सम्मान हो, यही ना अवश्य, कि आपका सत्कार करने वाला मन से ऐसा कर रहा है या उसके मन में कोई खोट है। कहीं वो धूर्त तो नहीं, क्योंकि धूर्त का सत्कार भी विनाशकारी होता है। फिर से एक प्रश्न उठता है कि धूर्त को पहचाने कैसे?

कभी सर्प को देखा है?

उसके निकट जाओ तो फुंकारता है, दूर रहने की चेतावनी देता है। और वही सर्प आपके निकट आकर नृत्य करने लगे तो विचित्र नही लगेगा आपको। लगेगा ना। उसी प्रकार किसी के स्वभाव में यही विचित्रता आना धूर्तता का लक्षण है। धूर्तता से आपको ठगने वालों का भी सबसे बड़ा लक्षण यही होता है कि वो आपसे अपने स्वभाव के विपरीत व्यवहार करते हैं। जो आपसे अधिक मीठी बातें करे, अत्यधिक विनय दिखाये तो उससे सावधान हो जाइए, क्योंकि मित्र दिखावा नहीं करते और अत्यधिक प्रेम का दिखावा करने वाले मित्र नही होते।

"अतिविनयम धुर्तस्य लक्षण्म"

सतविचार -: हमारी दृष्टि ही हमारे मानसिक जगत का सृजन करती है।

जय गुरुदेव नाम प्रभुका || जयगुरुदेव ||  हमारी अपेक्षाएं, तुलनाएं, वासनाये और पूर्वाग्रह से भरी तृष्णाएं ही हमारी अशांति की जड़ हैं दृष...