7. अच्छे विचार

 33. सम्मान ! मनुष्य के जीवन में सम्मान का बहुत अधिक महत्व है। वो उसे अपने हृदय, अपने मन से जोड़कर रखता है।

कदाचित हम इसलिए शत्रु के सम्मान पर चोट पहुंचाते हैं ताकि उसे पीड़ा पहुंचाई जा सके।

परन्तु ऐसा करने से सावधान रहें मित्र।

शरीर पर लगी चोट को मनुष्य भुला सकता है परन्तु उसके सम्मान को लगी चोट उसे जीवन भर पीड़ा देती है। और स्त्री के मान सम्मान पर लगी चोट उसे उस सीमा तक ले जाती है जहां उसे केवल प्रतिशोध दिखाई देता है।

यदि अपने शत्रुओं को जीतना है तो प्रेम से जीतिए, अपने कर्मों से जीतिए, उन्हें अनुभव करवाईये कि उनसे भूल हुई है। किसी के सम्मान को ऐसी चोट ना पहुंचाइए कि वो आपका नाश करने पर उतर आए।

स्मरण रखिए किसी का अपमान करके आपके हृदय को कदाचित थोड़ा संतोष आ जाए परन्तु उस अपमान से आप कई हृदयों को आघात पहुंचाते हैं और अपने लिए शत्रु बढ़ा लेते हैं।

सतविचार -: हमारी दृष्टि ही हमारे मानसिक जगत का सृजन करती है।

जय गुरुदेव नाम प्रभुका || जयगुरुदेव ||  हमारी अपेक्षाएं, तुलनाएं, वासनाये और पूर्वाग्रह से भरी तृष्णाएं ही हमारी अशांति की जड़ हैं दृष...