2. अच्छे विचार

6. वर्तमान के कर्म भविष्य में फलदायी होते हैं, इसलिए कोई ऐसा कार्य मत करना की भविष्य पीड़ादायी हो।


7. मानवता की ढाल शांति है ना कि अशांति।


8. विकास के प्रयास को प्रशंसा मिलती है, विनाश के प्रयास को नहीं।


9. हम कर्म को चुनते हैं और कर्म हमारे परिणाम को।


10. पंच दोष (१) काम (२) क्रोध (३) मोह (४) लोभ (५) अहंकार। मनुष्य को इन दोषों से मुक्त होना चाहिए।


11. जो संसार में आता है उसका कारण और निवारण नियति पहले से तय रखती है।

सतविचार -: हमारी दृष्टि ही हमारे मानसिक जगत का सृजन करती है।

जय गुरुदेव नाम प्रभुका || जयगुरुदेव ||  हमारी अपेक्षाएं, तुलनाएं, वासनाये और पूर्वाग्रह से भरी तृष्णाएं ही हमारी अशांति की जड़ हैं दृष...