1. अच्छे विचार

1. हमारे कर्म ही हमारा परिचय होना चाहिए।

2. ईर्ष्या कीअग्नि सबसे पहले ईर्ष्यालु को जलाती है।

3. यदि उचित मार्ग हम नहीं चुने तो अनुचित मार्ग हमें चुन लेता है।

4. मन की शुद्धि के लिए उत्सुकता के वेग को रोकना नहीं चाहिए।

5. यदि लक्ष्य तक की यात्रा लंबी हो तो बीच-बीच में रुक कर मार्ग जांच लेना चाहिए, भांप लेना चाहिए कि कहां के लिए निकले हैं और कहां तक पहुंचे हैं और कहां जा रहे हैं। और यह यात्रा आवश्यक है या नहीं।

सतविचार -: हमारी दृष्टि ही हमारे मानसिक जगत का सृजन करती है।

जय गुरुदेव नाम प्रभुका || जयगुरुदेव ||  हमारी अपेक्षाएं, तुलनाएं, वासनाये और पूर्वाग्रह से भरी तृष्णाएं ही हमारी अशांति की जड़ हैं दृष...