स्वामी जी ने बताया है

१. इस शरीर में मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर
है। महात्मा ही उसे समझा सकते हैं। + क्राइस्ट
का चिन्ह है। इसी प्रकार मस्जिदों में ४ मिनारें
हैं, अन्दर सीढ़ियां हैं। मन्दिर में गुम्बद है।
उसी में घण्टा लटक रहा है। उसकी आवाज
है। यह सब शरीर की नकल है। दोनों नेत्रों
के पीछे त्रिकुटी के ऊपर ही वह ज्ञान चक्षु है,
शिवनेत्र है जिसके खुल जाने के बाद खुदा,
ईसा, मोहम्मद, ईश्वर के दर्शन होते हैं।

२. दुःख अभी और आएगा, पाप और बढ़ेगा।

आदमी आदमी को खाने की तरफ में हो
जायेगा। तुम सब लोग शौक के सामानों
और इज्जत के सामान से दूर रहो। ऐसे
वक्त में किसी की इज्जत नहीं है।

३. शायद धनवान, सत्तावान, पहलवान,

किसान कोई भी क्यों न हो, यह समझते होंगे
कि वे धन से, सत्ता के बल से, शरीर के बल
से मौत से अपना पीछा छुड़ा लेंगे। तो आज
तक सिकन्दर बादशाह जैसे सत्तावान,
धनवान मौत के शिकार न हो जाते और सब
कुछ होते हुये खाली हाथ न चले जाते। माँ,
बाप, पत्नी, बच्चे, सगे सम्बन्धी उन्हें रोक लेते।

४. लोग साबित पूरे मुर्गे को पका कर खाते

हैं लेकिन उनकी इच्छा यह होती है कि
साबित पूरा मुर्गा पेट में उतार लें। लेकिन
मुख से मजबूर हैं कि वह छोटा है । फिर भी
चाहते जरूर हैं कि पूरा मुर्गा मुँह में डालकर
चबायें तो शायद ज्यादा मजा आ जाए । यह
वह दशा है जिसे राक्षसों से भी बुरी कहा जाना
चाहिए। पशुओं से भी गिरी समझना चाहिए।

. समय आ रहा है जबकि जैसे भाड़ में डाल

कर कोई वस्तु भून दी जाती है उसी प्रकार
इन्सानों की बुनाई होती नजर आ रही है। तब
एक नया इतिहास लिखा जायेगा। मगर
लिखेगा कौन? वही लिखेंगे जो बचे रहेंगे और
बचेंगे भी वही जो आज भी बचे हुये हैं।

सतविचार -: हमारी दृष्टि ही हमारे मानसिक जगत का सृजन करती है।

जय गुरुदेव नाम प्रभुका || जयगुरुदेव ||  हमारी अपेक्षाएं, तुलनाएं, वासनाये और पूर्वाग्रह से भरी तृष्णाएं ही हमारी अशांति की जड़ हैं दृष...