प्रार्थना

अमर सन्देश

सतगुरु की अखण्ड वाणी, जीवन पथ की कहानी।
जीवन सुधारक वाणी, जीवों की भव पार कहानी ॥।

गुरु की वाणी

शिव नेत्र आज भी मिलता है। शिव नेत्र प्राप्ति का गुरु
मिलना चाहिए। सच्चा गुरु मिलने पर ईश्वर प्राप्ति सरल है।
ईश्वर जीते जी मिलता है, इसी मनुष्य शरीर से।


(मन तू भजो गुरु का नाम)

मन तू भजो गुरु का नाम ।टेक।
दया मेहर से नर तन पाया, मत करना अभिमान ।
इक दिन खाली पड़ा रहेगा. जाई बसे शमशान ।
जो धन तुझको दिया गुरु ने इससे करि कुछ काम।
अन्त समय यूँ ही लुट जायेगा. संग न जाई छदाम।
यह संसार रैन का सुपना, आई किया विश्राम।
चार दिना के संगी सब हैं, अन्त न आवें काम।
ताते चेत करो सतसंगत, भजन करो आठो याम।
यही भजन तेरे संग चलेगा, पावेगा आराम।
दया मेहर सतगुरु से लेकर चलो त्रिकुटी धाम ।
काल करम से बंधन छूटे, मिले पुरुष सतनाम।

सतविचार -: हमारी दृष्टि ही हमारे मानसिक जगत का सृजन करती है।

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